राष्ट्रीय अग्रसेना (रजि.)
राष्ट्रीय अग्रसेना एक अग्रवाल वैश्य समाज का सामाजिक संगठन है जो अग्रवाल समाज के विकास और उत्थान के लिए काम करता है।
संगठन अग्रवाल वैश्य समाज को एकजुट करने और उनके हितों की रक्षा करने के लिए काम करता है।
सेवा: ज़रूरतमंदों की सहायता करना, स्वास्थ्य, शिक्षा और आपदा राहत के क्षेत्रों में सक्रिय रहना।
संस्कृति: हमारी गौरवशाली वैश्य परंपरा और भारतीय संस्कृति को संजोकर नई पीढ़ी तक पहुँचाना।
सुरक्षा: समाज के आत्मसम्मान, अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा के लिए सजग रहना और सहयोग प्रदान करना।
जय अग्रसेना | जय भारत |
राष्ट्रीय अग्रसेना एक अग्रवाल वैश्य समाज का सामाजिक संगठन है जो अग्रवाल समाज के विकास और उत्थान के लिए काम करता है।
संगठन अग्रवाल वैश्य समाज को एकजुट करने और उनके हितों की रक्षा करने के लिए काम करता है।
राष्ट्रीय अग्रसेना के उद्देश्य:
1. अग्रवाल वैश्य समाज को संगठित करना और उनकी एकता को मजबूत करना।
2. अग्रवाल वैश्य समाज के विकास और उत्थान और राजनीतिक अधिकारों के लिए आवाज उठाना ।
3. अग्रवाल समाज के लोगों के हितों की रक्षा करना और उनके अधिकारों के लिए लड़ना।
4. अग्रवाल वैश्य समाज के जरूरतमंद लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में संभावित सहायता प्रदान करना।
5. अग्रवाल वैश समाज के महापुरुषों के स्वर्णिम इतिहास को जन-जन तक पहुंचाना l
राष्ट्रीय अग्रसेना के कार्य:
1. अग्रवाल वैश्य समाज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में युवाओं और व्यापारियों के साथ दशहरे के पावन पर पावन पर्व पर विशाल महाशास्त्र पूजन का आयोजन करना
2. अग्रवाल समाज के इतिहास को जन जन तक पहुंचाना और उसको संरक्षित करने के लिए परम श्रद्धेय स्वर्गीय अशोक सिंघल जी की स्मृति में भव्य राममय महोत्सव का विशाल आयोजन जैसे अपनी महान विभूतियों कि स्मृति में आयोजन करते रहना
3. मानव कल्याण हेतु रक्तदान शिवरो का नियमित आयोजन करना तथा जरूरतमंद लोगों को सहायता से रक्त उपलब्ध कराना
4. अग्रवाल समाज के बच्चों को सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिभा निखारने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना।
5 अग्रवाल समाज की युवाओं को शस्त्र और शास्त्र का ज्ञान तथा प्रशिक्षण देना
6 आर्थिक कमजोर बच्चों को शिक्षा प्रदान करना तथा युवाओं को निशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण देना
7 अग्रवाल समाज के राजनीतिक अधिकारों के लिए आवाज उठाना
8 अग्रवाल समाज के उत्पीड़न को रोकना और सम्मान की रक्षा करना
9 जरूरतमंद लोगों को रियायती दरों पर चिकित्सा जांच के लिए प्रयास करना
10 अग्रवाल समाज के परिवारों को सरकारी योजना का लाभ दिलाने में मदद करना
अग्रसेन जी महाराज की जय
महाराज अग्रसेन वैश्य समाज के प्रतिष्ठित आदर्श पुरुष और अग्रवाल समाज के आदिपुरुष माने जाते हैं। उन्होंने जीवनभर अहिंसा, समानता, सेवा, सद्भाव और लोककल्याण को सर्वोपरि रखा। उनका जीवन एक आदर्श शासक, दूरदर्शी समाज सुधारक और मानवता के उपासक का प्रतीक है।
जन्म और वंश
महाराज अग्रसेन जी का जन्म द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था। वे सूर्य वंश के प्रतापी राजा थे और महाराज वल्लभ के पुत्र थे। उनका जन्म प्रतापनगर (कुछ मान्यताओं के अनुसार हरियाणा स्थित हिसार के निकट) में हुआ था।
राज्य और शासन
महाराज अग्रसेन ने अपने जीवन में अग्रोहा नामक एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य की स्थापना की, जो व्यापार, संस्कृति और सामाजिक न्याय का अद्वितीय उदाहरण था। उनके शासन में किसी भी प्रकार के भेदभाव, हिंसा या शोषण को स्थान नहीं था।
उन्होंने एक ऐसी समाजव्यवस्था का निर्माण किया जहाँ:
सभी को समान अवसर मिले,
स्त्रियों को सम्मान व अधिकार प्राप्त हो,
व्यापार और उद्यम को प्रोत्साहन मिले,
और हर नया व्यक्ति समाज में दो ईंटें और एक रुपया योगदान देकर सम्मानपूर्वक जीवन शुरू कर सके।
अहिंसा और करुणा के प्रतीक
महाराज अग्रसेन ने एक समय में युद्ध और बलि प्रथा का त्याग करके अहिंसा के मार्ग को अपनाया। उन्होंने यज्ञों में पशुबलि का विरोध किया और एक शांतिप्रिय व न्यायप्रिय शासन स्थापित किया।
वंश विस्तार
महाराज अग्रसेन के 18 पुत्र थे, जिनसे अग्रवाल समाज की 18 गोत्रों की स्थापना हुई। ये गोत्र आज भी अग्रवाल समाज की पहचान हैं और सामाजिक व्यवस्था के मूल आधार हैं।
विरासत और प्रेरणा
महाराज अग्रसेन जी का आदर्श आज भी उद्योग, उदारता, सेवा और सद्भाव के रूप में अग्रवाल समाज की रगों में प्रवाहित होता है। भारत सरकार ने उनकी स्मृति में 1976 में एक डाक टिकट भी जारी किया था।
नारा:
“एक रुपया, एक ईंट — एकता और सहयोग की नींव।”
“महाराज अग्रसेन अमर रहें!”